चारू हैरत भरी निगाहों से अवि का चेहरा देखने लगी ….. .
और दिल ही दिल में सोचने लगी की ऐसा क्या किया उसने जो अवि ने उसे ‘निष्ठुर’ कहा …. .
अवि को अपने पेरेंट्स के साथ आये अभी दो दिन ही हुए हैं और घर भी उसका अभी ठीक से सेटल नहीं हो पाया है .फिर उसने किस बात को लेकर ये बात कही ..वो समझ नहीं सकी !
शाम को चारू कॉरिडोर में अपनी स्टडी में बिजी थी तभी वहां अवि आ पंहुचा और उसने चारू से कहा की आप ‘बहुत बहुत निष्ठुर हैं’ .तो चारू ने उससे पूछा की वो उसे ऐसा क्यों कह रहा है , उसने ऐसा क्या कर दिया ……
अवि बोला आप कितनी भोली हैं .आपके इसी भोलेपन पर तो मैं मरता हूँ .आप मेरी जिंदगी का पहला पयार हो मैं आपको कभी नहीं भूल सकता …..
चारू के तो पैर के निचे से मानो ज़मीन ही खिसक गई हो ….
ये क्या पागलपन है ….तुम होश में तो हो …… मैं तुम से उम्र में बड़ी हूँ … .ये कैसे हो सकता है .तुम जाओ यंहा से मुझे पढने दो कल मेरा एग्जाम है .चारू ने अविनाश से कहा ….
कितनी बड़ी हैं आप एक साल दो साल कितने साल ??? मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता …दो दिन मुझे इस शहर में ,आपके घर में आये हो गया पर आपकी एक भी झलक नहीं मिली मैं कितना बेचैन था आपकी सिर्फ एक झलक के लिए . अगर आप सामने आ जाती तो क्या चला जाता आप का ???? .जाने kya क्या कह गया अवि .
चारू को कुछ भी समझ नहीं आया …. . वो अब एक नई उलझन में उलझने लगी थी ..
अवि ने कहा जब से मैंने होश संभाला है बस आप से ही प्यार करता आ रहा हूँ और आपको ही प्यार करता रहूँगा ..
ये सब फालतू बातें हैं … इसे भूल जाओ और जा कर पढाई करो तुम अभी बच्चे हो ..
ऐसा सुनते ही अवि ने चारू का चेहरा अपने हाथो में ले लिया और कहा देखिये मेरी इन आँखों में आपको प्यार नहीं दिखाई देता … .ये बस आपके लिए है .. .इतने सालो से मैं जिस आग में जल रहा हूँ मैं ही जानता हूँ ..
वैसे भी सालो पहले आप मुझे रोता हुआ छोड़ के चली आई थी और एक बार भी पीछे पलट कर भी नहीं देखा था …………
आप बहुत निष्ठुर हैं’…अवि ने चारू से कहा ……. चारू हैरत भरी निगाहों से अवि का चेहरा देखने लगी ….. . और दिल ही दिल में सोचने लगी की ऐसा क्या किया उसने जो अवि ने उसे ‘निष्ठुर’ कहा …. . अवि को अपने पेरेंट्स के साथ आये अभी दो दिन ही हुए हैं और घर भी उसका अभी ठीक से सेटल नहीं हो पाया है .फिर उसने किस बात को लेकर ये बात कही ..वो समझ नहीं सकी ! शाम को चारू कॉरिडोर में अपनी स्टडी में बिजी थी तभी वहां अवि आ पंहुचा और उसने चारू से कहा की आप ‘बहुत बहुत निष्ठुर हैं’ .तो चारू ने उससे पूछा की वो उसे ऐसा क्यों कह रहा है , उसने ऐसा क्या कर दिया …… अवि बोला आप कितनी भोली हैं .आपके इसी भोलेपन पर तो मैं मरता हूँ .आप मेरी जिंदगी का पहला पयार हो मैं आपको कभी नहीं भूल सकता ….. चारू के तो पैर के निचे से मानो ज़मीन ही खिसक गई हो …. ये क्या पागलपन है ….तुम होश में तो हो …… मैं तुम से उम्र में बड़ी हूँ … .ये कैसे हो सकता है .तुम जाओ यंहा से मुझे पढने दो कल मेरा एग्जाम है .चारू ने अविनाश से कहा …. कितनी बड़ी हैं आप एक साल दो साल कितने साल ??? मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता …दो दिन मुझे इस शहर में ,आपके घर में आये हो गया पर आपकी एक भी झलक नहीं मिली मैं कितना बेचैन था आपकी सिर्फ एक झलक के लिए . अगर आप सामने आ जाती तो क्या चला जाता आप का ???? .जाने kya क्या कह गया अवि . चारू को कुछ भी समझ नहीं आया …. . वो अब एक नई उलझन में उलझने लगी थी .. अवि ने कहा जब से मैंने होश संभाला है बस आप से ही प्यार करता आ रहा हूँ और आपको ही प्यार करता रहूँगा .. ये सब फालतू बातें हैं … इसे भूल जाओ और जा कर पढाई करो तुम अभी बच्चे हो .. ऐसा सुनते ही अवि ने चारू का चेहरा अपने हाथो में ले लिया और कहा देखिये मेरी इन आँखों में आपको प्यार नहीं दिखाई देता … .ये बस आपके लिए है .. .इतने सालो से मैं जिस आग में जल रहा हूँ मैं ही जानता हूँ .. वैसे भी सालो पहले आप मुझे रोता हुआ छोड़ के चली आई थी और एक बार भी पीछे पलट कर भी नहीं देखा था …………चारू हतप्रत सी अवि का चेहरा देखने लगी ये कब की बात है मुझे तो कुछ भी नहीं मालूम .. तुम कह क्या रहे हो .चारू ने अवि से कहा . जब हम सालो पहले एक ही शहर में थे . जब आप और छोटी थीं ,और हम साथ साथ अपने ढेर सारे फ्रेंड्स के साथ खेला करते थे ,और सारी लड़कियां मेरे पीछे रहती थी और मैं आप के . ..अवि ने बताया . चारू इतना सुनते ही जोर से हसने लगी .और फिर बोली ये तो बचपन की बातें हैं और तुम तो अब भी बचपन में ही हो .इतना कह कर वो अपने कमरे में चली गई . अवि उधर एक बार फिर दुखी हो गया ..उसे लगने लगा की चारू उसकी फीलिंग्स को क्यों नहीं समझना चाहती .क्या उसके प्यार में कोई कमी है ऐसे ढेरों सवाल में खुद ही घिरने लगा . आज पुरे एक हफ्ते हो गए लेकिन उसे चारू कंही दिखाई नहीं दी . अवि ने सोचा आज कुछ भी हो वो चारू से मिल के ही रहेगा और वो उसके कमरे में जा पंहुचा . चारू उसको देख घबरा गई बोली तुम यहाँ क्यों आये हो तुमको शायद मालूम नहीं मेरी शादी होने वाली है…मेरी जिंदगी खुद मेरी नहीं हैं .मैं अपने पेरेंट्स को कोई भी दुःख नहीं दे सकती .तुम यहाँ से जाओ .. .पर अवि कुछ बोल न सका और वहां से चला गया … चारू आज शहर से बहार जा रही थी .अवि को बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था .अवि उसे see off करने के लिए उसकी कार के पास ही खड़ा था .चारू ने एक बार फिर उसकी तरफ नहीं देखा और वो चली गई . रस्ते में ही चारू का एक्सीडेंट हो गया और वो जैसे मौत के मुह से बहार आ गई हो अब तो उसके घर में sympathy देने वालो की लाइन ही लगी रहती अवि को भी मौका अच्छा मिल गया अब उसके करीब जाने का इसी दौरान चारू की शादी भी कैंसिल हो गई . मिलते मिलते अवि ने अपना प्यार तो चारू के दिल में जग तो दिया पर चारू इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकी ….. चारू ने अवि से पूछा की वो उसे ‘निष्ठुर’ क्यों कहता है . अवि ने कहा मेरी feeling आप जो नहीं समझती .पर आप से मिलने के बाद मुझे बहुत बुरा लग रहा है मैंने आपको क्यों कहा सॉरी प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये बातें बढ़ने लगी . और एक दिन अवि ने चारू से बताया की उसे कभी उम्मीद ही नही थी की वो उसे कभी दुबारा जिंदगी में उससे मिल भी पायेगा सो हर चेहरे में वो उसका ही चेहरा तलाशता था और उसी तलाश में उसे एक फ्रेंड भी मिल गई है .ये बात चारू को अच्छी लगी चारू मुस्कुराई और बोली तब तुम फिर भी मेरे पीछे क्यों हो ???? . अवि बोला आप नहीं समझ सकती ……..काश !आप ये समझती तो ये सवाल ही न करती .आप उम्र में मुझसे बड़ी जरुर हैं पर शायद आज तक आप बच्ची ही हैं इसीलिए तो मैं आप पर मरता हूँ . पर जब भी चारू अवि से मिलती बस एक ही बात कहती ये सब पागलपन है तुम्हारा आज नहीं तो कल मेरी शादी हो ही जाएगी फिर तुम और राशि …..पर तुम्हारे सामने एक ही प्रॉब्लम है तुम्हारे पास अभी कोई जॉब नहीं है अब बस तुम एक अच्छी सी जॉब ज्वाइन कर लो और राशि से शादी कर लो….. समय बिताता गया दोनों एक दुसरे से मिलने लगे सारे शिकवे गिले भी मिटने लगे थे अवि चारू को कभी बचपन की सारी बातें याद दिलाता कभी उसके मन में अभी जो हलचल होती उसे बताता . आज चारू बहुत खुश थी जब भी अवि को देखती उसे चिढाते हुए…..पराई हूँ पराई (film song) . गुनगुनाते आगे निकल जाती अवि बहुत हैरत में था . तभी अवि चारू के कमरे में जा पंहुचा और उससे पूछा क्या बात है चारू आप इतनी खुश क्यों है क्या शादी सेटल हो गई मिलने जाना है क्या उनसे चारू ने मुस्कुराते हुए अपना सर हिल दिया .अवि दुखी हो गया .और चारू से पूछा की क्या आप खुश हैं .. .बहुत बहुत और ये एक दिन तो होना ही था .चारू ने जबाब दिया . आप तो ठीक से झूठ भी नहीं बोल पाती है ..जब खुश हैं तो आँखों में आंसू क्यों .????. अवि ने चारू से पूछा . अवि पर तो जैसे आज कहर सा टूट पड़ा था .वो बहुत दुखी हुआ . चारू ने कहा यही अंजाम था इसका…..और शायद हमारा साथ भी यहीं तक …. अब तुम भी मेरे बारे में कभी नहीं सोचोगे वादा करो मुझसे ..की तुम राशि के साथ खुश रहोगे और उसे भी खुश रखोगे मैंने अभी उससे बात की है उसने मुझे बधाई आज एक बार तुम फिर मुझे ‘निष्ठुर’ कह सकते हो अवि ………..चारू ने अवि से कहा . अवि ने अपना हाथ चारू के होठो पर रखते हुए कहा चुप हो जाइये ..फिर कभी ऐसा सोचियेगा भी नहीं .. आप ‘निष्ठुर’ हो ही नहीं सकती .. मैं ही गलत था बस ये वक़्त ही ‘निष्ठुर’ है .. ..आप इतनी अच्छी हैं की ..पत्थर भी अगर आपको पा ले तो वो भी मोम बन जायेगा .वो कितने खुशनसीब हैं .. जिनके नसीब में आप हैं … मैं कितना खुशनसीब हूँ की आप का साथ और आप जैसा मुझे दोस्त मिला ….इन आँखों में कभी आंसू मत आने दीजियेगा .मैं जनता हूँ मैं आपको कभी नही भूल सकता शायद आप ……..और इस पयार को दिल में छुपा कर …मैं अब तक तो आपको बस प्यार ही करता था पर आज से आप मेरी नज़रों में पूजा के काबिल हो गई है ..मुझे गर्व है जो मैंने आप जैसी लड़की से प्यार किया जिसने मुझे हर कदम सही रास्ता ही दिखाया ….मैं चाहता हूँ की हर किसी को आप जैसी ही लड़की मिले तो उसका जीवन स्वर्ग हो जाय चारू इतना सुनते ही मुस्कुराते हुए बोली ..बस भी करो अवि …..मैं इतनी भी अच्छी तो नहीं हूँ …. कभी मेरी नज़रो से देखा नहीं है न आपने इसलिए .. आप चाहे जो कह सकती हैं .अवि बोला समय बिता अवि चारू का मकान छोड़ चूका था पर किसी न किसी बहाने उसके घर जरुर आता रहता था पर चारू को कभी मिल पता कभी नहीं आज आखिरी बार अवि चारू से मिलने आया था उसने चारू से कहा की वो उसे कभी नहीं भूल पायेगा और आज वो उसकी ही फीलिंग्स की कद्र करते हुए उसकी जिंदगी से जा रहा है वो सारी जिंदगी राशि के साथ रहेगा तो पर दिल में चारू ही होगी . चंद महीनो बाद चारू की शादी हो गई . और आज एक बार फिर उसने जाते samay अवि की तरफ नहीं देखा … अवि वक़्त और तकदीर दोनों को कोसता हुआ .. चारू के प्यार को दिल में ही छुपाये खड़ा चारू को जाते हुए देखता रहा …चारू सच कहती थी प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं प्यार तो बस देने का नाम है इसमें भी कितना सुखद एहसास है .अवि चारू की ही बातें सोचता भारी कदमो से आपनी मंजिल की ओर चल पड़ा था ……. $hweta
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